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ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025: लोकसभा में पास, क्या बदलेगा भारत का डिजिटल गेमिंग परिदृश्य?

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नई दिल्ली। लोकसभा ने हाल ही में प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 (Promotion and Regulation of Online Gaming Bill, 2025) पारित कर दिया है। यह बिल भारत के तेजी से बढ़ते डिजिटल गेमिंग उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है। जहां एक ओर यह बिल ई-स्पोर्ट्स और सामाजिक/शैक्षिक गेम्स को मान्यता और प्रोत्साहन देता है, वहीं दूसरी ओर ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है।

यह फैसला सीधे तौर पर करोड़ों यूज़र्स, गेमिंग कंपनियों और निवेशकों को प्रभावित करने वाला है। आइए विस्तार से समझते हैं कि इस बिल में क्या है, क्या बैन हुआ है, किन्हें राहत मिली है और इसका असर भारत के ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर पर क्या होगा।


बिल में क्या है खास?

इस बिल का उद्देश्य ऑनलाइन गेमिंग को नियंत्रित करने और एक सुरक्षित डिजिटल माहौल बनाने का है। इसके तहत:

  • गेम्स की कैटेगरी तय की जाएगी – ई-स्पोर्ट्स, ऑनलाइन सामाजिक/शैक्षिक गेम्स, और ऑनलाइन मनी गेम्स।
  • ई-स्पोर्ट्स और सामाजिक गेम्स को बढ़ावा मिलेगा।
  • ऑनलाइन मनी गेम्स (जैसे फैंटेसी लीग, पोकर, रम्मी आदि) पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाएगा।

क्या हुआ बैन और क्या मिलेगा अनुमति?

बिल के अनुसार, ऑनलाइन मनी गेम्स वह सभी गेम्स हैं जिनमें:

  • खिलाड़ी को खेलने के लिए पैसा, फीस या दांव लगाना होता है।
  • जीतने पर नकद या अन्य आर्थिक लाभ मिलता है।
  • चाहे यह स्किल-बेस्ड हो, चांस-बेस्ड या दोनों का मिश्रण – सभी बैन होंगे।

👉 इस वजह से Dream11, MPL, My11Circle, Pokerbaazi, Winzo, RummyCircle जैसी लोकप्रिय प्लेटफॉर्म्स प्रभावित होंगी।

हालांकि, सरकार ने साफ किया है कि ऑनलाइन मनी गेम खेलने वाले यूज़र्स को अपराधी नहीं माना जाएगा। उन्हें “पीड़ित” की श्रेणी में रखा जाएगा ताकि उनका शोषण न हो।


सज़ा और जुर्माना क्या है?

बिल में सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं:

  • मनी गेम्स ऑफर करने वालों को 3 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना
  • इन गेम्स के विज्ञापन करने पर 2 साल की सज़ा और 50 लाख रुपये तक जुर्माना
  • बैंकों/वित्तीय संस्थानों द्वारा इन गेम्स से जुड़े ट्रांजैक्शन करने पर 3 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये का जुर्माना
  • बार-बार अपराध करने वालों को 5 साल तक की जेल और 2 करोड़ रुपये तक जुर्माना

इसके अलावा, सरकार को अधिकार होगा कि वह IT Act के तहत ऐसे प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दे।


सरकार का मकसद क्या है?

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह कदम समाज की सुरक्षा के लिए जरूरी था।

  • ऑनलाइन मनी गेम्स से आर्थिक बर्बादी, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और मनी लॉन्ड्रिंग/टैक्स चोरी जैसी गैर-कानूनी गतिविधियों में इज़ाफा हुआ।
  • युवा और गरीब वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, खासकर सस्ते इंटरनेट और मोबाइल की उपलब्धता के कारण।
  • सेलिब्रिटी एंडोर्समेंट और आक्रामक विज्ञापन ने स्थिति को और बिगाड़ा।

सरकार का कहना है कि यह बिल यूज़र्स की सुरक्षा और एक इनोवेशन-फ्रेंडली डिजिटल माहौल बनाने के लिए जरूरी है।


ई-स्पोर्ट्स और शैक्षिक गेम्स को बढ़ावा

जहां मनी गेम्स पर रोक लगाई गई है, वहीं सरकार ने ई-स्पोर्ट्स और सामाजिक/शैक्षिक गेम्स को बढ़ावा देने का ऐलान किया है।

  • ई-स्पोर्ट्स को भारत में प्रतिस्पर्धी खेल (Competitive Sport) के रूप में मान्यता मिलेगी।
  • सरकार टूर्नामेंट्स, ट्रेनिंग अकादमी और रिसर्च सेंटर स्थापित करेगी।
  • शैक्षिक और सामाजिक गेम्स को स्कूलों व अन्य संस्थानों से जोड़ा जाएगा।

कितना खर्च आएगा?

इस बिल को लागू करने के लिए सरकार ने अनुमानित 50 करोड़ रुपये की शुरुआती लागत और हर साल 20 करोड़ रुपये का खर्च बताया है। यह पैसा रेगुलेटरी अथॉरिटी और उसके संचालन में लगाया जाएगा।


गेमिंग उद्योग की नाराज़गी

ऑनलाइन स्किल-गेमिंग सेक्टर की इंडस्ट्री बॉडीज़ ने इस बिल पर नाराज़गी जताई है।

  • उनका कहना है कि यह उद्योग 2 लाख करोड़ रुपये का है और हर साल 31,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई करता है।
  • इसमें 20,000 करोड़ रुपये से अधिक टैक्स योगदान है।
  • इस सेक्टर से लाखों लोगों को रोजगार मिला है।

उनका कहना है कि पूरी तरह बैन लगाने से यह उद्योग खत्म हो जाएगा और यूज़र्स अवैध ऑफशोर प्लेटफॉर्म्स की तरफ चले जाएंगे।


सरकार का जवाब

अश्विनी वैष्णव ने साफ किया कि सरकार गेमिंग इंडस्ट्री को खत्म नहीं करना चाहती, बल्कि उसे सही दिशा में बढ़ावा देना चाहती है

  • ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग के लिए नए अवसर तैयार होंगे।
  • रोजगार और इनोवेशन को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • केवल ऑनलाइन मनी गेम्स पर रोक लगाई जाएगी, क्योंकि इनका समाज पर गंभीर नकारात्मक असर है।

नतीजा: गेमिंग का भविष्य कहां जा रहा है?

इस बिल के बाद भारत में गेमिंग का चेहरा बदलने वाला है। जहां एक ओर फैंटेसी गेम्स और मनी बेस्ड प्लेटफॉर्म्स पर ताला लग जाएगा, वहीं दूसरी ओर ई-स्पोर्ट्स और शैक्षिक गेम्स को नया जीवन मिलेगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में भारत का गेमिंग सेक्टर एक नए मॉडल पर खड़ा होगा – सुरक्षित, नियंत्रित और इनोवेशन-फ्रेंडली।


निष्कर्ष

ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 सिर्फ एक कानून नहीं है, बल्कि भारत के डिजिटल भविष्य को दिशा देने वाला कदम है। जहां यह युवाओं और समाज को आर्थिक और मानसिक शोषण से बचाएगा, वहीं यह भारत को ई-स्पोर्ट्स और शैक्षिक गेमिंग में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बिल उद्योग, यूज़र्स और निवेशकों पर लंबे समय में क्या असर डालता है।

Ashish

Ashish Goyal is a digital news writer covering Mumbai, Kolkata, and national updates. With a strong focus on weather, real estate, and local trends, he brings timely, factual, and reader-friendly reports to his audience.

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